भारतीय अर्थव्यवस्था। अर्थव्यवस्था का अर्थ क्या हैं?

  भारतीय अर्थव्यवस्था

     
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था



अर्थव्यवस्था का अर्थ क्या हैं?

     अर्थव्यवस्था एक देश की ऐसी प्रणाली हैं, जो लोगों को उत्पादन, उपभोग, निवेश, विनिमय और वितरण जैसी विभिन्न आर्थिक गतिविधियों की प्रक्रिया में जीविका कमाने का साधन प्रदान करती है।



 अर्थव्यवस्था के प्रकार


पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (बाजार अर्थव्यवस्था):-  पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का तात्पर्य एक ऐसी अर्थव्यवस्था से हैं जिसमें निजी क्षेत्र द्वारा सभी महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। लाभ या मुनाफा ही इसका प्रमुख उद्देश्य है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सरकार की कोई प्रमुख भूमिका नहीं होती हैं। कीमत का निर्धारण मांग व पूर्ति की बाजार शक्तियों के द्वारा किया जाता है।


समाजवादी अर्थव्यवस्था (केंद्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था):-  ऐसी अर्थव्यवस्था जहां समाज के सभी संसाधनों पर सरकार का स्वामित्व और नियंत्रण होता है, उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है। समाज कल्याण (हित) की इसका मुख्य उद्देश्य इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की कोई प्रमुख भूमिका नहीं होती है।


 नोट:-  एक अर्थव्यवस्था जहां निजी क्षेत्र की अनुपस्थिति हो, तो वह अर्थव्यवस्था ' साम्यवाद ' कहलाती है।


मिश्रित अर्थव्यवस्था:- मिश्रित अर्थव्यवस्था में जब बाजार अच्छी तरह से उत्पादन करने में विफल हो जाता है, तब सरकार आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं को उपलब्ध कराती हैं। इस अर्थव्यवस्था की प्रणाली में पूंजीवादी तथा समाजवादी दोनों की विशेषताएं शामिल हैं यथार्थ मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवादी स्वतंत्र उद्यमी और समाजवादी सरकारी नियंत्रण दोनों ही सम्मिलित हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।




 अर्थव्यवस्था के क्षेत्र


प्राथमिक क्षेत्र:-  यह क्षेत्र उन सभी गतिविधियों को सम्मिलित करते हैं, जहां प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष उपयोग किया जाता है। इसमें कृषि, मत्स्य, वानिकी, खनन आदि शामिल है।


  द्वितीयक क्षेत्र:- यह क्षेत्र आमतौर पर प्राथमिक क्षेत्र से कच्चा माल लेकर निर्मित वस्तुएं तैयार करती हैं। इसमें उन सभी गतिविधियों को सम्मिलित किया जाता है, जिससे कच्चे माल को वस्तुएं या उत्पादों में बदला जाता है। इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसमें तेल शोधन, वस्त्र, निर्माण क्षेत्र आदि शामिल हैं।


तृतीयक क्षेत्र:- यह क्षेत्र समाज के विभिन्न वर्गों को सेवाएं प्रदान करता है इस में सम्मिलित की गतिविधियां प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र के विकास में सहायक करती हैं। चूंकि ये गतिविधियां वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं। इसलिए इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसमें दूरसंचार, पर्यटन, मीडिया, स्वास्थ्य, बैंकिंग, बीमा आदि शामिल हैं।




अर्थशास्त्र


अर्थशास्त्र:- अंग्रेजी शब्द इकोनॉमिक्स ग्रीक शब्द आेकोनोमिया से लिया गया है, जिसका अर्थ आर्थिक रूप से उपलब्ध संसाधनों को सीमित निधियों से घर का प्रबंधन है। व्यापक अर्थ में अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है, जो अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों जैसे धन तथा आय को कमाने और खर्च करने से संबंधित हैं।




 अर्थशास्त्र के प्रकार


व्यष्टि अर्थशास्त्र (कीमत सिद्धांत):-  यह अर्थव्यवस्था व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन हैं। उदाहरण- व्यक्तिगत परिवार, व्यक्तिगत आय, वस्तु का मूल्य, व्यक्तिगत कंपनी का उत्पादन आदि। व्यष्टि अर्थशास्त्र को आंशिक संतुलन विश्लेषण भी कहा जाता है क्योंकि इसमें व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।


समष्टि अर्थशास्त्र (आय सिद्धांत):- अर्थशास्त्र की वह शाखा है, जो आर्थिक मुद्दों का समग्र रूप से अध्ययन करती हैं। समग्र इकाइयों जैसे- राष्ट्रीय आय, निवेश, रोजगार, बचत इत्यादि का अध्ययन इसमें सम्मिलित हैं। समष्टि अर्थशास्त्र को समान्य संतुलन विश्लेषण भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।




आर्थिक विश्लेषण के प्रकार 


  सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण:-  इस विश्लेषण में क्या है और क्या था जैसी आर्थिक स्थितियों पर विचार किया जाता है। इस विश्लेषण में वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण- भारत अत्यधिक जनसंख्या वाला देश है, सरकार द्वारा प्रदान की गई स्वास्थ्य सेवाओं के कारण सार्वजनिक व्यय में वृद्धि होती है।


  आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण:- इस विश्लेषण में क्या होना चाहिए जैसी आर्थिक स्थितियों पर विचार किया जाता है। यह विश्लेषण आर्थिक समस्याओं के समाधान को दर्शाता है। यह वास्तविक स्थिति की बजाय आर्थिक स्थिति का वर्णन करया हैं। जैसे- सरकार को सभी नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।

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