भारतीय संविधान का निर्माण
संविधान सभा के गठन संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य :-
> भारतीय संविधान की मांग के सर्वप्रथम अभिव्यक्ति 18 सो 95 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में तैयार स्वराज विधेयक में मिले।
> भारत शासन एक 1919 के लागू होने के ठीक बाद 1922 में महात्मा गांधी द्वारा व्यक्त किया गया कि भारतीय संविधान भारतीयों के इच्छा अनुसार ही होगा।
> 1922 में श्रीमती एनी बेसेंट की पहल पर संविधान निर्माण के लिए केंद्रीय विधान मंडल के दोनों सदनों के सदस्यों की एक संयुक्त बैठक शिमला में आयोजित की गई थी।
> 1924 में मोतीलाल नेहरू द्वारा ब्रिटिश सरकार से यह मांग की गई कि भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए।
> साम्यवादी नेता एमएन राय द्वारा 1934 में औपचारिक रूप से संविधान सभा के गठन का विचार रखा गया।
> 17 मई 1927 को कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू ने सभी राजनीतिक दलों से एक संविधान निर्माण के लिए प्रस्ताव पेश किया था जिसे जवाहरलाल नेहरू ने 28 दिसंबर 1927 को कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में स्वराज संविधान के रूप में प्रस्तुत किया।
>10 अगस्त 1928 को नेहरू रिपोर्ट पेश की गई जो देश के लिए संविधान बनाने जाने का प्रथम प्रयास था जिसका प्रारूप डोमिनियन के सिद्धांत पर आधारित था।
>संसदीय व्यवस्था की संकल्पना पर आधारित नेहरू रिपोर्ट को संविधान सभा ने लगभग सभी मुद्दों को स्वतंत्र भारत के संविधान में समाहित कर लिया।
>1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुने गए संविधान सभा द्वारा किया जाएगा।
>ब्रिटिश सरकार ने 1940 के अगस्त प्रस्ताव में संविधान सभा की मांग को या प्रत्यक्ष तथा महत्वपूर्ण शर्तों के साथ अधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया।
>कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव के अनुरूप 1946 में भारतीय संविधान सभा के गठन के लिए निर्वाचन हुआ।
संविधान सभा का गठन
•>पूर्ण प्रभुता संपन्न लोकतंत्रात्मक राष्ट्रों में जहां भी लिखित संविधान है उसका निर्माण जनता द्वारा निर्वाचित संविधान सभा के माध्यम से किया गया है।
•>कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवंबर सन 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ।
•>संविधान निर्माण नगर में प्रांतों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर था हर प्रांत वादसेरी आयतन अथवा राज्य को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आवंटित की जानी थी प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर एक सदस्य निर्वाचित किया गया था।
•>संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव सांप्रदायिक आधार पर होना था और मतदान समानुपात प्रतिनिधित्व की प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होना था।
•>ब्रिटिश प्रांत को आवंटित की गई सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदाय मुस्लिम सिक्योर सामान्य के अनुपात में किया जाना था भारत के संविधान सभा गठित करने का आधार केबिनेट मिशन प्लान 1946 था।
•>संविधान निर्माण सभा के सदस्यों की संख्या 389 निश्चित की गई जिसमें 296 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि जो 11 प्रांतों से तथा 93 प्रतिनिधि देसी रियासतों से थे।
•>संविधान निर्माण सभा में 4 प्रतिनिधि मुख्य आयुक्तों के प्रांत दिल्ली अजमेर मारवाड़ ग्रह और ब्रिटिश बलूचिस्तान से थे।
•>ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन हुआ जिसमें समय निकले 213 मुस्लिम के 79 तथा सिखों की 4 सीटों की।
•>जुलाई 1946 में संविधान सभा का चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस को 208 सीटें तथा मुस्लिम लीग को 73 स्थान प्राप्त हुए।
•> प्रांतीय विधानसभा में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत से अनुपातिक प्रतिनिधित्व के द्वारा अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन किया जाना था।
•>9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई जिसमें मुस्लिम लीग के सदस्यों ने भाग नहीं लिया।
•>3 जून 1947 की योजना के अनुसार पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा गठित की गई।
•>पुनर्गठन के फल स्वरूप वर्ष 1947 में संविधान सभा के सदस्यों की संख्या विभिन्न प्रांतों से 299 हो गई थी जिसमें देसी रियासतों के 70 प्रतिनिधि थे विभिन्न प्रांतों से 229 सदस्य प्रतिनिधि थे।
•>संविधान सभा में संयुक्त प्रांत का प्रतिनिधियों की संख्या 55 सर्वाधिक थी तथा देशी रियासतों में से हैदराबाद में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजे थे।
•>3 जून 1947 देश के बंटवारे के आधार पर संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 रह गई जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिए और 89 देसी राज्यों के लिए थे।
•> पंजाब और बंगाल के बचे हुए भारतीय क्षेत्रों का निर्वाचन नए सिरे हुआ।
•> संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी जिसमें बिहार प्रांत के वरिष्ठ सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को या अस्थाई अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
•>11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष और एचसी मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष चुना गया।
•>संविधान सभा को दो अलग काम सौंपे गए थे-
1.स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाना।
2. देश के लिए आम कानून बनाना और लागू करना था।
•>सभा की बैठक संविधान सभा के रूप में होती तो उसके अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद करते और जब विधायिका के रूप में कार्य करती तो उसके अवस्था जीवी मावलंकर करते थे।
•>सभा का संविधान सलाहकार बी एन राव को नियुक्त किया गया था।
•>जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया जिसे 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया।
•>संविधानिक परामर्शदाता बेनेगल नरसिंह राव (बी एन राव) द्वारा तैयार पहले प्रारूप पर विचार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को एक प्रारूप समिति का गठन किया गया।
•>संविधान सभा में संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान कुल 12 अधिवेशन हुए थे।
•>संविधान का पहला अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 से 23 दिसंबर 1946 तक चला जो मुखयतः का प्रथम अध्यक्षिय भाषण से उद्देश्य प्रस्ताव पर केंद्रित था।
•>दूसरे अधिवेशन में एक संचालन समिति के निर्वाचन का निर्णय लिया गया।
•>संविधान सभा का तीसरा अधिवेशन 28 अप्रैल से 2 मई 1947 तक चला दो समितियों के प्रतिवेदन पर केंद्रित था।
•>संविधान सभा का चौथा अधिवेशन 14 जुलाई 1947 को आरंभ हुआ इसी दौरान भारतीय डोमिनियन के मुस्लिम लीग के सदस्य सभा में उपस्थित हुए। हैदराबाद और जम्मू कश्मीर के प्रतिनिधियों को छोड़कर सभी देसी रियासतों के प्रतिनिधियों ने संविधान सभा में स्थान ग्रहण किया।
•>चौथा अधिवेशन की महत्वपूर्ण घटना थी कि 22 जुलाई 1947 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया था।
•>सविधान सभा का पांचवा अधिवेशन 12 से 30 अगस्त तक चला जो 14 अगस्त 1947 की रात 11:00 बजे वंदे मातरम के गायन के साथ आरंभ होगा जिसका पहला पद श्रीमती सुचेता कृपलानी ने गाया था या मुख्य रूप से प्रभुत्व शक्ति के दायित्व ग्रहण पर केंद्रित था संविधान सभा के संविधान निर्माण तथा विधि निर्माण के कार्य अलग हो गए।
•>संविधान सभा के पहले अधिवेशन की पहली बैठक 17 नवंबर 1947 को काउंसिल हाउस के असेंबली चेंबर में हुई जो वर्तमान में संसद भवन का लोकसभा का चयन सदन का विधि व निर्वाचित अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर हुए थे।
•>संविधान सभा के छठे अधिवेशन में 26 अक्टूबर 1948 को भीमराव अंबेडकर ने प्रारूप समिति के निर्णय से अध्यक्ष को अवगत करा दिया।
•>साथ में अधिवेशन में प्रारूप संविधान 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियों का एक महान पर लेख बन गए।
•>आठवीं अधिवेशन के दौरान स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन और 55 वां अधिवेशन था जयपुर में 1948 में हुआ।
•>16 मई 1949 आठवां अधिवेशन के दौरान संविधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित किया और उस प्रस्ताव में निश्चित किया गया कि राष्ट्रमंडल स्वैच्छिक संगठन था जिसकी सदस्य भारत द्वारा स्वीकार कर लेने से उसके स्वतंत्र संप्रभुता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
•>दसवां अधिवेशन 6 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 1949 तक चला इस दौरान दूसरा वाचन हुआ और प्रस्तावना अंतिम रूप से स्वीकार किया गया।
•>11 वें अधिवेशन के दौरान तीसरा वाचन हुआ जो 7 नवंबर को आरंभ हुआ और 26 नवंबर 1949 को समाप्त होगा संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को अंतिम रूप से पास किया गया संक्रमण कालीन उपबंध, नागरिकता तथा परिभाषाएं संबंधी विषय तुरंत लागू हो जाएंगे।
•>संविधान सभा का 12 वां और अंतिम अधिवेशन 24 जनवरी 1950 को हुआ इसी दिन जन गण मन भारत का राष्ट्रीय गीत बना।
•>24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सचिव एचडी आयंगर जो भारत के निर्वाचन में निर्वाचन अधिकारी थे डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणराज्य का प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया।
•>संवाद रानी परामर्शदाता या नए प्रारूप समिति के विचार के लिए जो प्रारूप संविधान तैयार किया था उसमें 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थी संविधान सभा के सम्मुख जो पहला प्रारूप संविधान पेश किया गया उसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी।
•> संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन लगा था तथा संविधान के प्रारूप पर 144 दिन बहस हुई।
•>26 नवंबर 1949 को अंतिम रूप से पारित संविधान होते समय 284 सदस्य थे और उसी दिन संविधान पर हस्ताक्षर हुए और 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया था।
•>पूर्ण रूप से संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
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