संविधान की विशेषताएं
संविधान निर्माण कर्ताओं ने संविधान को दो वर्गों में विभाजित किया है:-
1. एकात्मक सविधान
2. परिसंघात्मक या परिसंघीय संविधान
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संविधान की विशेषताएं |
1.एकात्मक सविधान:-
इसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में समाहित होती है अर्थात केंद्रीय सरकार है और इकाइयों के पदाधिकारी केंद्रीय सरकार के अधीन उनके एजेंटों के रूप में कार्य करते हैं।
केंद्रीय सरकार इकाइयों को जो प्राधिकार प्रत्यायोजित करते हैं यह कानूनी का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण:- ब्रिटेन
2. परिसंघात्मक सविधान:-
इस प्रकार के संविधान में शक्तियों का केंद्र और राज्यों में विभाजन होता रहता है और केंद्र और राज्य की सरकारें स्वतंत्र रूप से अपने क्षेत्रों में कार्य करती है।
• सविधान के मूल ढांचे में कहीं भी परी संघात्मक या परिसंघ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
• अमेरिका का संविधान विश्व के परिसंघ संविधानो में 1787 में लिखित सर्वाधिक प्राचीन संविधान है।
• भारतीय संविधान निर्माताओं के अनुसार भारतीय संविधान एक संघात्मक संविधान है। किंतु कुछ संविधानवेता प्रोफेसर हवीयार और प्रोफेसर जेनिंग्स भारतीय संविधान को संघात्मक मानने से इनकार करते हैं।
संघात्मक संविधान के मुख्य लक्षण -
> केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा रहता है तथा प्रत्येक सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोपरि के साथ ही एक दूसरे की सहयोगी होती है। शक्तियों का सहयोगी संस्थानों में विकेंद्रीकरण होता है।
> स्वयं संविधान सरकार के सभी अंगो जिनमें कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका है का स्रोत होता है, जो उनकी शक्तियों पर नियंत्रण रखता है।
> परिसंघीय राज्य का जन्म संविधान से होता है।
> संघीय संविधान में केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन एक लिखित संविधान द्वारा किया जाता है। विभिन्न सरकारी संविधान के उपबंधों का अपने पक्ष में निर्वाचन कर सकती हैं किंतु मतभेद की स्थिति में निष्पक्ष और स्वतंत्र अंतिम निर्णय देने का अधिकार संविधान की संघ व्यवस्था में न्यायपालिका को दिया गया है।
> व्यवहारिक रूप से लिखित संविधान अन्मय होता है। किसी संविधान की अनम्यता और नाम नम्यता उसके संशोधन की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। जिस सविधान में संशोधन की प्रक्रिया कठिन होती है वह अन्मय और जिस संविधान में संशोधन की प्रक्रिया सरल होती है वह नम्य संविधान कहलाता है। अर्थात् संविधान परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील होते हैं।
> संघीय प्रणाली में दोहरी नागरिकता का विधान होता है।
> भारत का संविधान अनोखा है, यह ना तो शुद्ध रूप है से परिसंघिय हैं और ना ही शुद्ध रूप से एकिक। यह दोनों का संयोजन अर्थात् एक प्रकार से नए प्रकार का संघ या सम्मिलित राज्य हैं।
> भारत के संविधान को अर्धपरिसंघीय गया है जिसमें परिसंघीय और एकात्मक दोनों की विशेषताएं हैं।
> भारत के संविधान में दोहरी राज्यव्यवस्था पद्धति हैं जिनमें-
• केंद्रीय सरकार
• प्रांतीय य राज्य सरकार
१. भारतीय संविधान देश की सर्वोच्च विधि और लिखित तथा प्रकृति में अर्ध संघीय संविधान है
२. आपात उपबंध 352 से 360 अनुच्छेद भाग 18 तक संविधान के एकात्मक रूप दिया जा सकता है।
३. संविधान को पेश करते समय प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ आंबेडकर ने यूनियन ऑफ स्टेटस पद का प्रयोग किया था।
४. भारतीय संघात्मक व्यवस्था एक परिवर्तनशील व्यवस्था है और आवश्यकतानुसार एकात्मक संघात्मक दोनों ही रूप धारण कर लेती हैं।
५. यस यार बॉम्मई बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का मत है कि भारतीय संविधान परिसंघवाद संविधान का आधारभूत ढांचा है।
६. अनुच्छेद 1 में राज्यों का संघ कहा गया है जिसका अर्थ है किसी राज्य को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है और ना ही भारतीय संघ राज्य के किसी समझौते का परिणाम है।
सरकार का गठन
• संघात्मक संविधान के अंतर्गत सरकार की स्थापना संसदीय तथा अध्यक्षात्मक प्रकार से की जा सकती है संसदीय प्रणाली का जन्म ब्रिटेन में हुआ। ब्रिटेन का संविधान एकात्मक, अलिखित और वंशानुगत राजा वाला संविधान है।
• भारतीय संविधान में संसदीय सरकार की स्थापना की गई है सरकार का स्वरूप इंग्लैंड की सरकार के समान है क्योंकि 1919 और 1935 के भारतीय अधिनियम के अंतर्गत संसदीय शासन का अनुभव था।
• अध्यक्षता शासन प्रणाली में समस्त कार्यकारिणी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है। राष्ट्रपति का निर्वाचन सीधे जनता द्वारा किया जाता है। अमेरिका की सरकार अध्यक्षत्मक होती हैं। वहां मंत्रिमंडल के सदस्य विधान मंडल के सदस्य नहीं होते हैं।
• संसदीय प्रणाली को सरकार के रूप में उत्तरदाई सरकार और मंत्रिमंडलीय सरकार के रूप में माना जाता है। भारत में दोनों स्तरों पर संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है।
• भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली को अपनाया तथा कार्यपालिका विधनपालिका के प्रति उत्तरदाई हैं। तथा भारत का अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति हैं जिनके नाम से सभी केंद्रीय सरकार के काम होते हैं।
संसदीय प्रभुत्व बनाम न्यायिक सर्वोच्चता
> ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली में संसद प्रभुत्व संपन्न और सर्वोच्च हैं। न्यायपालिका को संसद द्वारा बनाए गए विधान का न्यायिक पुनरीक्षण करने का कोई अधिकार नहीं है।
> जबकि आमिरिकी शासन प्रणाली में शक्तियों का पृथक्करण होता है। वहां उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च हैं।
> भारत में संसद और सर्वोच्च न्यायालय अपने क्षेत्र में सर्वोच्च हैं। भारतीय संविधान में अमरीकी न्यायिक सर्वोच्चता और ब्रिटिश संसद की प्रभुता दोनों का मिश्रण है।
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