कवक क्या है?
• सभी कवक पर्णहरित विहीन होते हैं। अतः ये अपना भोजन समय नहीं बनाते बल्कि विविधपोशी होते हैं। ये संवहन उत्तक रहित होते हैं। इनमें संचित भोजन ग्लाइकोजन के रूप में रहता है। इनकी कोशिका भित्ति काइटीन की बनी होती हैं।
• कवक संसार में उन सभी जगहों पर पाए जाते हैं जहां जीवित तथा मृत कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं। यह खाद्य पदार्थों जैसे- रोटी, आचार, जैम, जेली आदि सभी में पाए जाते हैं।
• म्यूकस और राइजोपस कवक है, जिसमें भोजन प्रविष्ट होने के पहले ही पच जाता है।
• गोबर पर उगने वाले कवकों को कोप्रोफिलस कवक कहते हैं।
• किन्वन में यीस्ट द्वारा इथाइल अल्कोहल तथा कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पाद होता है।
कवक के प्रकार
पोषण के आधार पर कवक तीन प्रकार के होते हैं---
१.) मृतोपजीवी:- इस प्रकार के कवक अपना भोजन सदैव सड़े गले कार्बनिक पदार्थ से प्राप्त करते हैं। जैसे- राइजोपस, पेनिसिलियम, मोर्सेला।
२.) परजीवी:- जो अपना भोजन जंतुओं और पौधों के जीवित ऊतकों से प्राप्त करते हैं। ये सदैव हानिकारक होते हैं। जैसे- पक्सानिया, आष्टीलागो।
३.) सहजीवी:- ये कवक दूसरे पौधों के साथ-साथ उगते हैं तथा एक दूसरे को लाभ पहुंचाते हैं। जैसे- लाइकेन।
• लाइकेन कवक और शैवाल से मिलकर बनती हैं। कवक, जल, खनिज, विटामिन आदि शैवाल को देता हैं और शैवाल प्रकाश संश्लेषण के द्वारा कार्बोहाइड्रेट कवक को देता है। लाइकेन में शैवाल वाला भाग फाईकोबायोंट और कवक वाला भाग माइकोबायोंट कहलाता है।
• पेड़ों की छालों पर उगने वाले लाइकेन को कार्टीकोल्स कहते हैं।
कवकों का आर्थिक महत्व
लाभदायक कवक
• भूमि की उर्वरता बढ़ाने में:- कवक भूमि में पड़े हुए सड़े गले पदार्थों को अपघटित करके अन्य पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। यह पदार्थ उर्वरक के समान कार्य करते हैं तथा भूमि की उर्वरा बढ़ाते हैं।
• भोजन के रूप में:- बहुत से कवक खाने में प्रयुक्त होते हैं। रोमेरिया, कलेवेसिया, एगैरिकास लाईकोपर्गण को मशरूम के रूप में खाया जाता है। मशरूम में बहुत अधिक प्रोटीन होता है। मार्चेला जिसे गुच्छी कहते हैं, भी खाने में प्रयोग किया जाता है।
• नाइट्रोजन स्थिरीकरण:- कई कवक जैसे रोडोड़ेंद्रों नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं तथा भूमि की उर्वरता बढ़ाते हैं।
• औषधि के रूप में:- कावकों से अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक्स प्राप्त किए जाते हैं। जैसे- पेनिसिलिन, कलोरोमाईसीन, नियोमाईसीन, स्ट्रिप्टोमाईसीन, टेरामाईसीन आदि।
• बेकरी उद्योग में:- यीस्ट तथा कुछ अन्य कवाकों का प्रयोग किंवन द्वारा शराब बनाने में प्रयोग किया जाता है।
• पनीर बनाने में:- एस्प्रजिलास एवं पेनिसिलियम का प्रयोग दूध से पनीर बनाने में किया जाता है।
• रसायनों के निर्माण में:- कावाकों द्वारा कई प्रकार के अम्लों एवं रासायनिक पदार्थों का निर्माण किया जाता है। जैसे:- म्यूकर तथा राइपोजस की सहायता से फ्यूमेरिक अम्ल, एस्पर्जिलास नाईगर से ग्लुकोनिक अम्ल तथा पेनिसिलियम परफयुरोजेनम से गैलिक अम्ल बनाया जाता हैं
• एंजाइम्स बनने में:- कवकों से कई प्रकार के एंजाइम्स का निर्माण किया जाता है, जैसे- यीस्ट से जाईमेज तथा एस्पृजलास से एमेलेज इत्यादि।
• जैविक नियंत्रण में:- कुछ कवाकों द्वारा बनाए गए पदार्थों कीटों को नष्ट कर देते हैं। वह प्रक्रिया जिसमें, एक जीव के पदार्थ से दूसरे को नष्ट कर दिया जाता है, " जैविक नियंत्रण " कहलाती है।
• वातावरण को शुद्ध करने में:- कवक कई वस्तुओं का किंवन करके उन्हें ह्यूमस में परिवर्तित करते हैं तथा वातावरण को शुद्ध बना देते हैं।
• अनुसंधान में:- बहुत से कवक का उपयोग अनुसंधान कार्यों में किया जाता है, जैसे- न्यूरोस्पोरा।
• वर्णकों के निर्माण में:- कई कवक वर्णकों के निर्माण में प्रयुक्त होते हैं। जैसे- मोनैसकस।
• हार्मोन के निर्माण में:- कुछ कवक हार्मोन का निर्माण करते हैं। जैसे- जिबरेला फ्युजिकोराई से जीबरेलीन।
हानिकारक कवक
• रोग उत्पन्न करने में:- कवक पौधों, पशुओं तथा मनुष्यों में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।
• भोज्य पदार्थों को नष्ट करना:- बहुत से कवक भोज्य पदार्थों पर उगकर उन्हें नष्ट कर देते हैं। जैसे- आचार एवं मुरब्बे में फफूंद लगना।
• कागजों और कपड़ों को नष्ट करना:- कुछ कवक कागज एवम कपड़ों को नष्ट कर देते हैं। जैसे:- टोरुरा, पेनिसिलियम, अल्टर्नेरिया इत्यादि कागज को नष्ट कर देते हैं, जबकि पेंसिलवेनिया इत्यादि कपड़ों को नष्ट कर देते हैं।
• लकड़ियों को नष्ट करना:- पोरिया, फॉमिस तथा मेलियस इत्यादि कवक लकड़ियों को सड़ा कर नष्ट कर देते हैं।
• विद्युत उपकरण को नष्ट करना:- कुछ कवक विद्युत तारों एवं विद्युत उपकरणों पर उग कर उन्हें नष्ट कर देते हैं।
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