बल क्या है?
किसी पिंड पर दवाब अथवा खिंचाव को बल कहते हैं। हमारे दैनिक जीवन के क्रियाओं में जैसे दबाना, उठाना, तानना तथा खींचना आदि को हम बल के प्रयोग द्वारा करते हैं।
अथवा
बल या बल प्रभाव वह हैं, जो स्थिर वस्तु को गति में लाने की
या गतिमान वस्तु को रोकने की क्षमता रखता है या
जो गतिमान वस्तु की चाल और दिशा में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है
या फिर जो वस्तु की आकृति में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है उसे हम बल कहते हैं।
बल के प्रभाव
बल निम्नलिखित प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है-
• बल किसी स्थिर पिंड को चला सकता है।
• बल किसी का गतिशील पिंड को रोक सकता है।
• बल किसी गतिशील पिंड की दिशा में परिवर्तन ला सकता है।
• बल किसी पिंड की आकृति में परिवर्तन ला सकता है।
न्यूटन के गति के नियम -
1. न्यूटन का गति का प्रथम नियम
कोई विरामस्थ वस्तु विराम, विरामावस्था अवस्था में ही बनी रहेगी और गतिमान वस्तु निरंतर एक समान चाल से सीधी रेखा में तब तक गतिमान रहेगी जब तक कि उसकी विराम अवस्था अथवा एक समान गति की अवस्था में परिवर्तन के लिए बाहरी बल के द्वारा उसे बांध्य नहीं किया जाता है।
नोट:- प्रथम नियम को गैलिलियों का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
उदाहरण:
जब बस अचानक चल पड़ती है, तो हमारे शरीर को पीछे की तरफ धक्का लगता है और जब बस अचानक रूकती है, तो हमारे शरीर को आगे की तरफ धक्का लगता है। यह गति के प्रथम नियम के कारण होता है। अचानक बस के चलने से हमारा निचला भाग तो बस के साथ चलने लगता है परंतु हमारे शरीर का ऊपरी भाग विराम अवस्था में होने के कारण पीछे ही रह जाता है और हमें झटका लगता है। चलती बस के अचानक रुकने से हमारे शरीर का निचला भाग तो बस के साथ ही रुक जाता है लेकिन शरीर का ऊपरी भाग गति के अवस्था में ही रह जाता है जिसकी वजह से हम आगे की तरफ झटका महसूस करते हैं। या आगे की तरफ हम झुक जाते हैं।
न्यूटन के प्रथम गति के नियम पर आधारित अन्य क्रियाएं:-
• पेड़ों को हिलाने से फल का गिरना।
• चादर को झाड़ने से धूल कानों का अलग होना।
• पेडल मारना बंद कर देने के बाद भी कुछ दूरी तक साइकिल का चलना।
• भीगे कपड़ों को झाड़ने से पानी की बूंदों का झरना।
• गोली मारने से कांच में गोल छेद हो जाता है जबकि पत्थर मारने पर कांच के टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं।
संवेग क्या है?
किसी पिंड अथवा वस्तु के संवेग को, उसके द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
अतः
संवेग = द्रव्यमान × वेग
या, p = m × v
संवेग का S. I. मात्रक किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड होता है।
2. न्यूटन के गति का द्वितीय नियम
द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल को न्यूटन के गति के दूसरे नियम कहते हैं।
अथवा
संवेग परिवर्तन की दर आरोपित बल के अनुक्रमानुपाती होते हैं और उसी दिशा में होती है जिसमें बल कार्य करता है।
अतः
बल = द्रव्यमान × त्वरण
F = m × a
उदाहरण:
एक क्रिकेट खिलाड़ी कैच लेने के लिए हाथ नीचे या पीछे ले जाता है और कभी भी गेंद को अचानक रोकने की कोशिश इसलिए नहीं करता है, क्योंकि गेंद का वेग अचानक ज्यादा से एकदम शून्य हो जाएगा और ऐसी स्थिति में गेंद का मनदन बहुत अधिक होगा। अतः ज्यादा मनदन की वजह से हाथों पर अधिक बल पड़ेगा, जिससे चोट लगने की संभावना होती है। इसलिए जब खिलाड़ी अपने हाथों को थोड़ा पीछे ले जाते हैं, तो त्वरण थोड़ा कम हो जाता है। और इसके साथ ही बल भी कम हो जाता है।
3. न्यूटन के गति का तृतीय नियम
जब कभी एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाते हैं, तो दूसरी वस्तु पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाती है।
अथवा
प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया उस क्रिया के बराबर और विपरीत होती है।
उदाहरण:
• बंदूक से गोली चलाने पर चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना।
• नाव से किनारे पर से कूदने पर नाव का पीछे की ओर हट जाना।
• रॉकेट को उड़ाने में इसी नियम की सहायता ली जाती है।
• पैरों द्वारा जमीन पर बल लगाने एवं धरती के द्वारा लगाए जाने वाले बल के वजह से ही हम चल पाते हैं।
• दमकल कर्मियों के द्वारा काफी बल लगाकर पानी का पाइप पकड़ा जाता है, क्योंकि वेग से बहता पानी वाला पाइप को समान बल से पीछे ढकेलता है।
नोट:- जेट इंजन न्यूटन के गति के नियम पर आधारित है।
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