जैव उर्वरक से आप क्या समझते है?

 जैव उर्वरक से आप क्या समझते है?


सभी प्रकार के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए मुख्यतः 16 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें नाइट्रोजन एवं फास्फोरस अत्यंत आवश्यकता तत्व हैं। यह पौधों के लिए तीन प्रकार से उपलब्ध होती है।


१.) रासायनिक खाद द्वारा गोबर की खाद 

२.) रासायनिक खाद द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस 

३.) घुलनशील जीवाणुओं द्वारा।


प्राकृतिक रूप से मिट्टी में कुछ ऐसे जीवाणु पाये जाते हैं, जो वायु मण्डलीय नत्रजन को अमोनिया में एवं स्थिर फास्फोरस को उपलब्ध अवस्था में बदल देते हैं। जीवाणु खाद ऐसे ही जीवाणुओं का उत्पाद है, जो पौधों को नत्रजन एवं फास्फोरस आदि की उपलब्धता बढ़ाता है।



जैव उर्वरक निम्न प्रकार से उपलब्ध हैं :- 

राइजोबियम एजोटोबेक्टरएजोस्पाइरिलम फास्फोटिकानील हरित शैवाल

राइजोबियम


यह एक नमीधारक पदार्थ एवं जीवाणुओं का मिश्रण या मिलावट है, जिसके प्रत्येक एक ग्राम भाग में 10 करोड़ से भी अधिक राइजोबियम जीवाणु होते हैं। यह जैव उर्वरक केवल दलहनी फसलों में ही प्रयोग किया जा सकता है तथा यह फसल विशिष्ट होती है, अर्थात अलग-अलग फसल के लिए अलग-अलग प्रकार के राइजोबियम जैव उर्वरक का प्रयोग होता है।


      राइजोबियम जैव उर्वरक से बीज उपचार करने पर ये जीवाणुएं खाद से बीज पर चिपक जाते हैं। बीज अंकुरण पर ये जीवाणु जड़ मूलरोम द्वारा पौधों की जड़ों में प्रवेश कर के, जड़ों पर ग्रन्थियों का निर्माण करते हैं। ये ग्रन्थियां नत्रजन स्थिरीकरण इकाइयां तथा पौधों की बढ़वार इनकी संख्या पर निर्भर करती है। अधिक ग्रन्थियों के होने पर पैदावार भी ज्यादा होती है।




किन फसलों में उर्वरक का प्रयोग किया जा सकता है?


अलग-अलग फसलों के लिए राइजोबियम जैव उर्वरक के अलग-अलग पैकेट उपलब्ध होते हैं तथा निम्न् फसलों में प्रयोग किये जाते हैं।


मूंग, उर्द, अरहर, चना, मटर, मसूर आदि।तिलहनी मूंगफली, सोयाबीन।अन्यः रिजका, बरसीम एवं सभी प्रकार की वीन्स।




उर्वरक का प्रयोग कैसे करें?


200 ग्राम राइजोबियम कल्चर से 10 किग्रा० बीज उपचारित कर सकते हैं। एक पैकेट को खोलें तथा 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर लगभग 500 मिली० पानी में डालकर 50 ग्राम गुड़ के साथ अच्छी तरह से घोल बना लें। 


      बीजों को किसी साफ सतह पर इकट्ठा कर के जैव उर्वरक के घोल को बीजों पर धीरे-धीरे से डालें और हाथ से तब तक उलटते-पलटते जायें जब तक कि सभी बीजों पर जैव उर्वरक की समान परत न बन जाये।


       अब उपचारित बीजों को किसी छायादार स्थान पर फैलाकर 10-15 मिनट तक सुखा कर के  तुरन्त बो दें।




राइजोबियम जीवाणुओं के क्या  लाभ है?


     इसके प्रयोग से 10 से 30 किलोग्राम रासायनिक नत्रजन की बचत होती है।

इसके प्रयोग से फसल की उपज 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है।

राइजोबियम जीवाणु कुछ हारमोन एवं विटामिन भी बनाते हैं,जिससे पौधों की बढ़ाव और पैदावार अच्छी होती है और जड़ों का विकास भी अच्छा होता है।

इन फसलों के बाद भी बोई जाने वाली फसलों में  भूमि की उर्वराशक्ति अधिक होने से पैदावार अधिक मिलती है।




एजोटोबेक्टर या एजोस्पाइरिलम या जैव उर्वरक


   यह जैव उर्वरक स्वतंत्रजीवी नत्रजन स्थिरीकरण, एजोटोबेक्टर या एजोस्पाइरिलम जीवाणु का एक नम चूर्णरूप उत्पाद है। इसके एक ग्राम में लगभग 10 करोड़ से भी ज्यादा जीवाणु होते हैं। यह जैव उर्वरक किसी भी फसल (दलहनी जाति की फसलों को छोड़कर) सभी में प्रयोग किया जा सकता है।




एजोटोबेक्टर/एजोस्पाइरिलम जैव उर्वरकों के  लाभ


इससे फसलों की 10 से 20 प्रतिशत तक पैदावार में बढ़ोत्तरी हो जाती है तथा फलों एवं दानों का प्राकृतिक स्वाद बना रहता है।

इसके प्रयोग करने से 20 से 30 किग्रा० नत्रजन की बचत भी की जा सकती है।

इनके प्रयोग करने से अंकुरण शीघ्र और स्वस्थ होते हैं तथा जड़ों का विकास अधिक एवं शीघ्र होता है।

इससे फसलें भूमि से फास्फोरस का अधिक प्रयोग कर लेती हैं। जिससे किल्ले अधिक बनते हैं।

इन जैव उर्वरकों के जीवाणु बीमारी फैलाने वाले रोगाणुओं का दमन करते हैं, जिससे फसलों का बीमारियों से बचाव होता है तथा पौधों में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।

ऐसे जैव उर्वरकों को प्रयोग करने से जड़ों एवं तनों का अधिक विकास होता है, जिससे पौधों में तेज हवा, अधिक वर्षा एवं सूखे की स्थिति को सहने की क्षमता बढ़ जाती है।




फास्फोटिका जैव उर्वरक


     फास्फोटिका जैव उर्वरक भी स्वतंत्र-जीवी जीवाणु का ए नम चूर्ण रूप उत्पाद है। इससे भी एक ग्राम में लगभग 10 करोड़ से भी ज्यादा जीवाणु होते हैं। यह जैव उर्वरक प्रयोग करने से मृदा में उपस्थित अघुलनशी फास्फोरस घुलनशील अवस्था में जीवाणुओं द्वारा बदल दी जाती है।


साधारणतया मृदा में भी उपरोक्त प्रकार के जीवाणु होते हैं, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि मृदा में उपस्थित जीवाणु सूक्ष्म एवं असरकारक हों। अतः कल्चर के माध्यम से किसानों को असरकारक जीवित पदार्थ या जीवाणु उपलब्ध कराये जाते हैं।




फास्फोटिका जीवाणु के लाभ


       फास्फोटिका जीवाणु खाद के प्रयोग करने से 10 से 20 प्रतिशत पैदावार में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ मिट्टी में उपलब्ध फास्फोरस की 30 से 50 प्रतिशत की बचत की जा सकती है।जड़ों का विकास अधिक होता है, जिससे पौधा स्वस्थ बना रहता है।





उर्वरकों के प्रयोग से सावधानियां


राइजोबियम जीवाणु फसल विशिष्ट होता है। अतः पैकेट पर लिखी जैसी ही फसल में प्रयोग करें।

जैव उर्वरक को धूप व गर्मी से दूर किसी सूखी एवं ठंडी जगह में रखें।

जैव उर्वरक या जैव उर्वरक उपचारित बीजों को किसी भी रसायन या रासायनिक खाद के साथ न मिलायें।

यदि बीजों पर फफूंदी नाशी का प्रयोग करना हो तो कार्बेन्डाजिम का प्रयोग करें, यदि तांबा युक्त रसायन का प्रयोग करना हो तो बीजों को पहले फफूंदी नाशी से उपचारित करें तथा फिर जैव उर्वरक की दुगुनी मात्रा से उपचारित करें।

जैव उर्वरक का प्रयोग पैकेट पर लिखी अन्तिम तिथि से पहले ही कर लेना चाहिए।


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