हेलो दोस्तों,
आज हम लोग पढ़ेंगे राज्यपाल की योग्यता, नियुक्ति, पदावली, वेतन, शपथ आदि के बारे में।
![]() |
राज्यपाल की योग्यता |
राज्यपाल की योग्यता
अनुच्छेद 157 के तहत निम्न उपबंध है---
> वह भारत का नागरिक हो।
> वह 35 उम्र वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो।
> वह केंद्र या राज्य सरकार या इनके अधीन किसी लाभ के पद पर ना हो।
> अनुच्छेद 158 के उपबंध के अनुसार यदि राज्यपाल संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य है, तो राज्यपाल पद की शपथ लेने के पश्चात उसका स्थान रिक्त समझा जाएगा।
राज्यपाल की नियुक्ति
> अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
> किंतु व्यवहारिक रूप राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह से किया जाता है।
> इसके साथ ही यह भी नियम बनाया गया है कि जिस राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जा रहा है, वहां का निवासी नहीं हो।
राज्यपाल पदावली
अनुच्छेद 156 के उप बंधुओं के अनुसार---
> राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत तक पद पर रहेगा।
> पद ग्रहण की तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक।
> राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा पद त्याग राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल के परामर्श से राज्यपाल को पदच्युत कर सकता है।
> पदाधि समाप्ति के पश्चात भी जब तक उत्तराधिकारी ना पद ग्रहण कर ले दैनिक भत्ते वेतन पर बना रहेगा।
> एक राज्यपाल अपने पद पर पुन्निर्वाचन का पात्र हैं।
राज्यपाल का वेतन
> राष्ट्रपति अपने ऐसे भत्ते का भी हकदार हैं जो संसद द्वारा नियत किया जाए।
> राज्यपाल के वेतन, भत्ते और उपलब्धियां, पद अवधि के दौरान काम नहीं किए जाएंगे।
> यदि दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल एक हो तो दोनों राज्यों के राज्यपालों का वेतन अनुपात में दिया जाएगा, जैसा राष्ट्रपति निर्धारित करें।
राज्यपाल का शपथ
> राज्यपाल को अनुच्छेद 159 के अनुसार संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में उच्च न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं।
> राज्यपाल के कार्य राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित हैं तथा राज्य के समस्त कार्यपालिका कार्य, समस्त आज्ञाएं राज्यपाल के नाम से होंगे। राज्य में राज्यपाल को राष्ट्रपति की तरह आपातकालीन और कूटनीतिक शक्तियों के अलावा सभी शक्तियां राष्ट्रपति के समान है। जो निम्न प्रकार से हैं---
कार्यपालिका शक्ति
राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्य में ही निहित हैं।
१.) वह मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है, जो प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं।
२.) राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति तथा परिश्रमिक तय करता है।
३.) राज्य के निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति तथा सेवा शर्ते तय करता है।
४.) राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार हैं किंतु उन्हें हटा नहीं सकता है।
५.) उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
६.) अपने राज्य की विधान भाषा में यदि आंग्ल भारतीय समुदाय के सदस्यों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है तो एक सदस्य की नियुक्ति कर सकता है।
७.) जिन राज्यों में द्विसदनीय विधानमंडल हैं वहां विधान परिषद के कुल सदस्यों के 1/6 भाग सदस्यों को जो साहित्य, विज्ञान, कला सहकारी आंदोलन और सामाजिक सेवा में विशेष ज्ञान रखता हो, उन्हें नामित कर सकता है।
विधायी प्रक्रिया
१.) जैसे राष्ट्रपति संसद का अंग है उसी प्रकार अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल राज्य विधानमंडल का सदस्य विधान मंडल का सदस्य है।
२.) राज्यपाल को राज्य विधामंडल के संबंध में आहूत करने, सत्रावसान करने और विघटन करने का अधिकार है।
३.) वह राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति करता है।
४.) वह विधानमंडल के प्रति चुनाव के पश्चात और प्रति वर्ष पहले सत्र को संबोधित करते हैं।
५.) विधानसभा सदस्यता की अयोग्यता के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से विमर्श के बाद निर्णय करता है।
६.) वह विधानसभा में धन विधेयक भी पेश किया जाता है जब राज्यपाल ने विधेयक पेश करने की अनुमति दे दी हो।
७.) कुछ विधेयकों को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। जैसे---
• उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार से संबंधित विधेयक
• समवर्ती सूची से संबंधित विधेयक
• व्यक्तिगत संपत्ति के अधिग्रहण संबंधी विधेयक
• अन्य कोई विधेयक जिसके कारण राज्य तथा केन्द्र सरकारों में विवाद की संभावना हो।
अध्यादेश जारी करने की शक्ति
१.) अनुच्छेद 213 उपबंधों के अनुसार जब राज्य विधानमंडल सत्र में ना हो और सातवीं अनुसूची में राज्य पर कानून बनाना आवश्यक हो तो मंत्रिपरिषद की सलाह पर अध्यादेश जारी कर सकता है, जो 6 माह की अवधि तक प्रभावी रह सकता है।
२.) यदि 6 मास के पूर्व राज्य विधानमंडल या विधानसभा का सत्र आरंभ हो जाए तो अध्यादेश को 6 सप्ताह के दौरान अनुमोदित नहीं किया जाता है, तो अध्यादेश सवतः निष्प्रभावी हो जाएगा।
३.) राज्यपाल जिन विधायकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए रखता हैं उन पर अध्यादेश जारी नहीं कर सकता है।
वित्तीय अधिकार
१.) अनुच्छेद 161 के आधार पर विधानसभा में बिना राज्यपाल की सिफारिश के धन विधेयक नहीं पेश किया जा सकता है।
२.) राज्यपाल की अनुमति के बिना राज्य की आकस्मिक निधि से कोई व्यय नहीं किया जा सकता है।
३.) अनुच्छेद 202 के तहत विधानसभा में वार्षिक बजट पेश कराता है।
४.) राजपाल की अनुमोदन से अनुदान की मांग या कर के प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाता है।
विवेकाधीन अधिकार
१.) अनुच्छेद 163 के आधार पर राज्यपाल के राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए कि राज्यपाल किसी विषय में अपनी विवेका अनुसार कार्य करता है तो राज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा।
२.) संविधान में इन कृतियों का उल्लेख नहीं किया गया है।
३.) राज्यपाल उसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता हो किंतु यदि किसी भी दल को बहुमत ना प्राप्त हो तथा कई दलों के गठबंधन से मिलकर चुनाव में बहुमत ना प्राप्त किया हो तो राज्यपाल अपने राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेक का प्रयोग करता है।
४.) जब मंत्री परिषद के विरुद्ध विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित करें दें तथा मंत्रिपरिषद का बहुमत ना रह जाए तो मंत्री परिषद को भंग कर सकता है।
५.) विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाना
६.) मुख्यमंत्री के विरुद्ध भ्रष्टाचार या अपराधिक कार्यो के कारण वैधानिक कार्यवाही की अनुमति देना।
> राज्य विधानमंडल में धन विधेयक अनुदान मांगों की सिफारिश करने की शक्ति राज्यपाल को हैं।
> कर संबंधी प्रस्ताव राज्यपाल के नाम पर मंत्रियों के अतिरिक्त कोई पेशकश नहीं कर सकता है।
> राज्यपाल जिला न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के मामले में निर्णय लेता है।
एक टिप्पणी भेजें