हेलो दोस्तों,
आज हम सब पढ़ेंगे रक्त परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रश्न और साथ ही इसके अलावा ओर भी बहुत कुछ जानेंगे। तो चलते हैं कुछ आज हम रक्त परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रश्न पढ़ते हैं।
रक्त परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रश्न
जीव धारियों में पचे हुए पदार्थों तथा शवसनांगों द्वारा वातावरण से ग्रहण की गई ऑक्सीजन को समस्त कोशिकाओं में पहुंचने के लिए जो तंत्र होता है, उसे रुधिर या रक्त परिसंचरण तंत्र कहते हैं।
इस तंत्र की खोज विलियम हार्वे (1578 से 1657) ने की थी। रक्त परिसंचरण तंत्र के अन्तर्गत निम्न घटक आते हैं---
रक्त परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रश्न
हृदय
मानव हृदय पेरिकार्डियम से ढका होता है, जो इसकी सुरक्षा करता है।
• हृदय तथा उससे संबंधित बीमारियों का अध्ययन कार्डियोलॉजी के अंतर्गत आता है। हेपटोलोजी के अंतर्गत यकृत, पित्ताशय और अग्नाशय से संबंधित बीमारियों का अध्ययन करता है।
• यह एक संकुचनशील अंग हैं जिसके द्वारा द्रव को समस्त शरीर में भेजा जाता है। यह एक पतली झिल्ली से घिरा होता है, जिसे हृदयावरण (Pericardium) कहते हैं।
• हृदय की दीवार तीन विभिन्न स्तरों की बनी होती हैं--- एंडोकार्डियम, मायोकार्डिया तथा एपिकार्डियम।
• संपूर्ण हृदय चार कक्षों में बंटा होता है। दाएं तरफ ऊपर वाला कक्ष दायां आलिंद (Right Atrium) तथा निचला कक्ष दायां निलय (Right Ventricle) कहलाता है। उसी तरह बाईं तरफ नीचे वाला कक्ष बायां निलय (Left Ventricle) तथा ऊपर वाला कक्ष बायां आलिंद (Left Atrium) कहलाता है।
• बायां आलिंद एवं निलय के बीच में एक छिद्र होते हैं, जो एक द्वी दलीय (Bicuspid Valve) कपाट के द्वारा सुरक्षित होता है।
• दाहिना आलिंद और निलय के बीच के कपाट को त्री दलीय कपाट (Tricuspid Valve) कहा जाता है। हृदय रुधिर परिसंचरण का केंद्रीय पंपिंग स्टेशन होता है।
हृदय में रुधिर का मार्ग
बायां आलिंद > बायां निलय> दैहिक महाधमनी> विभिन्न धमनियां> छोटी धमनियां> धमनी कोशिकाएं> अंग> अग्र एवं पश्च महाशीरा> दाहिना अलिंद> दाहिने नीलय> पलमोनरी धमनी> फेफड़ा> पल्मोनरी शिरा> बायां आलिंद ( ऑक्सीजन युक्त रुधिर )
हृदय के संकुचन एवं शिथिलीकरण को सम्मिलित रूप से हृदय की धड़कन कहा जाता है। सामान्य अवस्था में मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है, किंतु शिशु अवस्था में यह 150 बार धड़कता है।
• हृदय एक धड़कन में लगभग 70 मिलीलीटर रक्त पंप करता हैं। हृदय की ध्वनी स्ट्रैथोस्कोप की सहायता से सुनी जा सकती हैं। स्ट्रैथोस्कोप ध्वनि के परिवर्तन सिद्धांत पर कार्य करता हैं।
• हृदय को रक्त पंप करने की क्षमता 4.5 लीटर प्रति मिनट हैं। बच्चे के हृदय की धड़कन वयस्क व्यक्ति से ज्यादा होती हैं।
• सामान्य मनुष्य का रक्तदाब 120 से 80 मिमी Hg होता है, जहां 120 = संकुचन दाब एवं 80 = शिथिलन दाब।
• रक्त दाब मापने वाले यंत्र का नाम स्फिगनोमेनोमीटर हैं।
नाड़ी दाब:- संकुचन दाब - शिथिलन दाब = 120 - 80 = 50 मिमी Hg होता है
• थायरोक्सिन एवं एड्रीनलिन स्वतंत्र रूप से हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने वाले हार्मोन हैं।
• रुधिर वाहिनीयां (Blood Vessels):- नलिकाएं जिनसे होकर रुधिर शरीर के प्रत्येक भाग में भ्रमण कर सके वह रुधिर वाहानियां कहलाती हैं। यह दो प्रकार की होती है--- शिराएं एवं धमनियां।
शिरा:- शरीर से हृदय की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी शिरा कहलाती हैं। शिरा में अशुद्ध रक्त अर्थात् कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रहता है, परंतु पल्मोनरी शिरा (Pulmonary Vain) में शुद्ध रक्त होता है।
• हृदय के दाहिने भाग में अशुद्ध रक्त यानि कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त एवं बाएं भाग में शुद्ध रक्त यानि ऑक्सीजन युक्त रहता है।
धमनी (Artery):- हृदय से शरीर की ओर ले जाने वाली रक्त वाहनी को धमनी कहते हैं। धमनी में शुद्ध रक्त अर्थात् ऑक्सीजन युक्त रक्त होता है, परंतु पलमोनरी धमनी में अशुद्ध रक्त रहता है।
पल्मोनरी धमनी:- दाहिने नीलय से फेफड़ा में अशुद्ध रक्त पहुंचाता है।
• धमनियों की ट्यूनिक मीडिया में कोलेस्ट्रोल एकत्र हो जाने से धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं, जिसे इराथिरोस्कलरोसिस कहते हैं। इससे रक्तचाप बढ़ता है।
• हृदय की मांसपेशियां को रक्त पहुंचाने वाली वाहिनी को कोरोनरी धमनी (Coronary Artery) कहते हैं। इसमें किसी प्रकार की रुकावट होने पर हृदयाघात (Heart Attack) होता है। हैपेटिक धमनी द्वारा रक्त यकृत में पहुंचता है।
• हृदय की धड़कन पेसमेकर द्वारा नियंत्रित होती हैं। पेसमेकर को साइनो ओरिकुलार नोड (S.A. Node) भी कहते हैं।
• पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण सी. एन. बनार्ड ने किया था। शल्य चिकित्सा के लिए कृत्रिम हृदय का प्रयोग सर्वप्रथम माइकल दि बैकी ने 1967 में किया था।
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