भारत की जलवायु कैसी होती है
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भारत की जलवायु कैसी होती है
भारत का दक्षिणी भाग किसमें आता है?
भारत का दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंध में आता है, जो सदैव गर्म रहता है। भारत जलवायु मुख्यत दो तत्वों से प्रभावित होती हैं- प्रथम उत्तर में हिमालय पर्वत की उपस्थिति और द्वितीय दक्षिण में हिंद महासागर की उपस्थिति और भूमध्य रेखा से समिपता।
हिमालय पर्वत के कारण मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाएं भारत में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। भारत की जलवायु में समानता पाई जाती हैं। ऐसा इसलिए कि भारत भूमध्य रेखा के समीप तथा हिंद महासागर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर भी निकट हैं।
मानसून शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा भाषा से हुई है। राजस्थान में ग्रीष्मकालीन उच्चतम तापमान लगभग 49 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता हैं।
जब देश के शेष भागों का तापमान औसतन 35 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है। संपूर्ण देश पर दक्षिणी पश्चिमी हवाएं प्रभावी होती हैं। तब वर्षा ऋतु होती हैं।
दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी पवनों का प्रवेश जब स्थलीय भागों में होता है तो प्रचंड गर्जना एवं ट्रिवता के साथ घनघोर वर्षा होती है। इस वर्षा की वर्षा को मानसून का टूटना या फूटना कहते हैं। इसकी गति 30 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक होती हैं।
बंगाल की खाड़ी का दक्षिणी हिंद महा सागर की स्थाई पावनों की वह शाखा है जो भूमध्य रेखा को पार करके भारत में पूर्व की ओर प्रवेश करती है। अरब सागर की मानसूनी हवाएं घाट से टकराकर पश्चिमी तट पर भारी वर्षा करती हैं परंतु दक्षिणी पठार एवं पूर्वी तट के प्रदेश में पहुंचकर कम वर्षा होती है।
उत्तरी भारत में मानसून का आगमन कब होता हैं?
उत्तरी भारत में मानसून का आगमन 30 जून के लगभग होता है। भारत की 80% से अधिक वर्षा इन्हीं मानसूनी हवाओं द्वारा होती है। भारत में शरद ऋतु का समय 16 सितंबर से 15 दिसंबर तक होता है, जोकि मानसूनी पवने के प्रत्यावर्तन का भी काल हैं।
भारत के विशाल मैदान में औसतन 100 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर वर्षा होती हैं, सबसे कम वर्षा का क्षेत्र पश्चिम में कच्छ से लेकर पंजाब हरियाणा तक है। भारत की वृष्टि छाया प्रदेश का भाग कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा दक्षिणी सौराष्ट्र का भाग आता है।
नार्वेस्टर हवाओं की उत्पत्ति छोटा नागपुर पठार पर होती है। गुवाहाटी को वृष्टि छाया नगर कहते हैं। भारत के मानसून का एशिया के अन्य भागों के मानसून से कोई संबंध नहीं रहता है, क्योंकि भारत की मानसूनी हवाएं 6 माह सागर से स्थल की ओर तथा 6 माह स्थल से सागर की ओर रहती है।
भारत में सूर्य के परिवर्तन चक्र के कारण तीन प्रकार की देश में पाई जाती हैं-
१.) नवंबर से फरवरी तक जाड़ा
२.) मार्च से जून तक ग्रीष्म
३.) जुलाई से अक्टूबर तक वर्षा।
तापमान में तथा वायुदाब में विपरीत पाया जाता है। अतः शीतकाल में उत्तरी भारत में उच्च वायु तथा दक्षिणी भारत में निम्न वायुदाब स्थापित हो जाता है। इस काल में वार्षिक वर्षा देश की कुल वर्षा का औसतन 2% होती हैं।
काल बैसाखी क्या हैं?
पूर्वी भारत में ग्रीष्म काल में तेज हवाओं के साथ हल्की वर्षा होती है। इन हवाओं को असम तथा पश्चिम बंगाल में काल बैसाखी कहते हैं। जो कि विनाशकारी हवाएं होती है।
सूर्य के भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर ग्रीष्म ऋतु में बढ़ने से पूरे देश के तापमान में वृद्धि होने लगती हैं। इस समय देश का उत्तरी भाग अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम वायुदाब के क्षेत्र में परिवर्तित होने लगता है।
ग्रीष्म ऋतु में मानसून के आगमन के पूर्व पश्चिमी तटीय मैदानी भागों में भी कुछ वर्षों प्राप्त होती हैं, जिसे मैंगो शावर (आम्र वर्षा) कहा जाता है। इसे कर्नाटक में फूलों की बौछार कहते हैं।
लू नामक गर्म एवं शुष्क हवा उत्तर पश्चिमी के शुष्क भागों में ग्रीष्म ऋतु के समय चलती है। भारत में सर्वाधिक वर्षा के क्षेत्र सह्याद्रि व पशिचमी तट असम, दक्षिणी मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश हैं।
देश में सबसे कम समय तक मानसून पंजाब में तथा देर तक केरल प्रांत में ठहरता है। भारत बजट को मानसून का जुआ कहा जाता है। भारत की जलवायु समान रूप से उष्णकटिबंधीय हैं, इसे मानसूनी जलवायु कहते हैं।
भारत में अधिकांश वर्षा दक्षिणी पश्चिमी मानसून से होती है। भारत में औसत वार्षिक वर्षा 112 सेंटीमीटर होती है। भारत में मासिनराम (मेघालय) नामक स्थान पर सर्वाधिक वार्षिक वर्षा 1200 सेंटीमीटर होती हैं। दक्षिणी भारत में प्रायः वर्ष भर एक सा ही मौसम रहता है। और शीत ऋतु नहीं होती है।
मुंबई में मानसून कल में 200 सेंटीमीटर वर्षा होती है। जबकि विमुख ढाल पर स्थित पुणे में केवल 50 सेंटीमीटर वर्षा होती हैं। लौटते हुए उत्तर पूर्वी मानसून से भारत के करोमंडक तट पर स्थित तमिलनाडु में वर्षा होती हैं।
वज्र तूफान क्या हैं?
पश्चिम बंगाल तथा असम में मार्च के महीने में समुद्र की, अर्द्ध उष्ण किन्तु जलभरी पवनो का स्थल की गरम व शुष्क पवणों से मिलने से तूफान आते हैं, जिन्हें वज्र तूफान कहते हैं। इससे होने वाली वर्षा को वसंत ऋतु की वर्षा कहते हैं।
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