अधातु (Non-metal) क्या होते हैं? अधातु (Non-metal) के खोज एवं उपयोग।

 अधातु (Non-metal) क्या होते हैं?

   
अधातु (Non-metal) क्या होते हैं?

अधातु (Non-metal) क्या होते हैं?



अधातु उस्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं। अधातु में विद्युत या उस्मा का प्रवाह नहीं होता है।

जैसे:- शीशा, लकड़ी, हवा, ओक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।

अपवाद - ग्रेफाइट।



अधातु (Non-metal) के खोज एवं उपयोग


 ऑक्सीजन (Oxygen):- वायुमंडल में लगभग 21% ऑक्सीजन पाई जाती हैं। इसकी खोज सर्वप्रथम स्वीडन के सिले ने 1972 में की थी। यह एक रंगहीन, गंधहिन गैस हैं तथा वायु से कुछ भारी होती हैं। यह गैस स्वयं नहीं जलती, परंतु जलने में सहायक होती है। इसकी प्रकृति अनुचुंबकीय है।


ओजोन (Oxen):-  यह ऑक्सीजन का एक अपरूप है। समुद्र तट से 30 से 32 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसकी सांदरता अधिक होती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से बचाती है।


 नाइट्रोजन (Nitrogen):-  वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन पाई जाती है। इसकी खोज रदरफोर्ड ने 1773 में की थी। यह एक रंगहीन गैस है। यह गैस जलने में सहायक नहीं है। साधारण ताप पर नाइट्रोजन की अभिक्रियाशिलता बहुत कम होती हैं।

   

           यह जीव-जंतु और वनस्पतियों में प्रोटीन के रूप में संचित रहती है। नाइट्रोजन जीव धारियों व वनस्पतियों के लिए बहुत ही आवश्यक है तथा इस की अनुपस्थिति में इनकी वृद्धि रुक जाती हैं। 


      नाइट्रोजन का सबसे बड़ा स्रोत वायुमंडलीय नाइट्रोजन है लेकिन जीवधारी नाइट्रोजन को पेड़ पौधों द्वारा प्रोटीन के रूप में प्राप्त करते हैं तथा पेड़ पौधे इसे मिट्टी में मिले हुए विभिन्न योगिकों से प्राप्त करते हैं।


         वायुमंडलीय नाइट्रोजन का नाइट्रोजन के विभिन्न योगिकों में परिवर्तन स्थिरीकरण कहलाता है। नाइट्रोजन स्थिरीकरण में राईजोबीयम (Rizobium) नामक जीवाणु भाग लेते हैं, जो कि पौधों की जड़ों में पाए जाते हैं।



द्रव नाइट्रोजन का उपयोग जैव पदार्थों के लिए प्रशीतक के रूप में भोज्य पदार्थों को जमाने एवं निम्नताप पर शल्य चिकित्सा के लिए होता है।


    नाइट्रोजन का उपयोग वहां भी करते हैं जहां किसी निष्क्रिय गैस की आवश्यकता होती हैं। जैसे:- लोहा व इस्पात उद्योग में, तनु कारक के रूप में।


 नाइट्रोजन के योगिकों में अमोनिया एक प्रमुख यौगिक हैं। इसका निर्माण हेबर विधि द्वारा किया जाता है। अमोनिया गैस बनाने के लिए नाइट्रोजन हाइड्रोजन का प्रयोग करते हैं ।




अमोनिया के उपयोग


बर्फ बनाने में, नाइट्रिक अम्ल के निर्माण में, यूरिया, अमोनिया सल्फेट आदि उर्वरक बनाने में, सोडियम कार्बोनेट एवं सोडियम का बाइकार्बोनेट के निर्माण में, अमोनिया लवण बनाने में, विस्फोटक बनाने में, कृत्रिम रेशम बनाने में आदि।



हाइड्रोजन (Hydrogen):-  यह एक रंगहीन, गंधहिन व ऊष्मा की सुचालक है। इसकी खोज हेनरी कैवंडीश ने की थी। स्वतंत्र अवस्था में यह ज्वालामुखी पर्वतों से निकली गैसों में उपस्थित रहती हैं।


    संयुक्त अवस्था में  हाइड्रोजन की अधिकतम मात्रा ऑक्सीजन के साथ जल में उपस्थित रहती हैं। हाइड्रोजन एक अध्ययन क्रियाशील गैस हैं तथा विभिन्न तत्वों से क्रिया करके उनसे हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।


 हाइड्रोजन गैस के तीन समस्थानिक होते हैं ---

प्रोटियान, ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम। ट्राइटियम हाइड्रोजन का रेडियोएक्टिव समस्थानिक हैं। ड्यूटीरियम के ओक्साइड को भरी जल भी कहते हैं।



फिटकरी (Alum):-  यह एक रंगहीन क्रिस्टीलिय पदार्थ हैं। इसका प्रयोग रक्त स्राव को बंद करने में, जल शुद्धीकरण में, चमड़े आदि की रंगाई में किया जाता है। इसका रासायनिक नाम पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट हैं।



फास्फोरस (Phosphorus):-  फास्फोरस हवा में जलता है।  फास्फोरस वनस्पति पदार्थों तथा प्राणी का आवश्यक अवयव हैं। यह  जीव कोशिकाओं  (डीएनए में) तथा हड्डियों में उपस्थित रहता है। फास्फोरस अपरूपता  प्रदर्शित करता है।


 सफेद फास्फोरस, लाल फास्फोरस एवं काला फास्फोरस इसके अपरूप हैं। लाल फास्फोरस श्वेत फास्फोरस की अपेक्षा कम क्रियाशील हैं। 


लाल फास्फोरस का प्रयोग सुरक्षित दियासलाईयों (माचिस) में किया जाता है तथा श्वेत फास्फोरस का प्रयोग चूहा विष के रूप में किया जाता है।


फास्फीन गैस का उपयोग समुद्री यात्रा में होम्स सिग्नल देने में किया जाता है। और इसका उपयोग युद्ध के समय धूम्र पट बनाने में किया जाता है।


 


हेलोजन (Halogens):- वर्ग VII A के तत्वों को हैलोजन कहते हैं।


क्लोरीन (Chlorine):-  यह एक तीव्र विरंजक गैस हैं। यह रंगीन कपड़ों, फूलों आदि का रंग उड़ा देती हैं। इसका प्रयोग कीटाणु नाशक के रूप में होता है। इसकी खोज सर्वप्रथम शिले ने की थी। यह एक अत्यंत क्रियाशील गैस हैं।


 संयुक्त अवस्था में यह साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड) में पाई जाती है व स्वतंत्र अवस्था में ज्वालामुखी पर्वतों से निकली गैशों में उपस्थिति रहती हैं। शुष्क या बुझे चुने में क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।


विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder):-  क्लोरीन गैस शुष्क व बुझे चुने से अभिक्रिया कर के विरंजक चूर्ण बनाती है। यह हल्के पीले रंग का चुना है।


 इसका प्रयोग क्लोरीन, क्लोरोफॉर्म के निर्माण में, पेयजल को शुद्ध करने में, जीवाणु नाशक के रूप में, चीनी को सफेद करने में, रंगीन कपड़ों का रंग उड़ाने आदि में किया जाता है।


 

निष्क्रिय गैस (Noble Gases):-  आवर्त सारणी में 0 वर्ग में 6 तत्व है --- हिलियम (He), नियॉन (Ne),  आर्गन (Ar), कृप्टोन (Kr),  जिनॉन (Xe) और रेडॉन (Rn) ये सभी तत्व रासायनिक रूप से निष्क्रिय हैं। अतः इन तत्वों को अक्रिय गैस  गैस या उत्कृष्ट गैस किसे कहते हैं। इन का गलनांक कम होता है।


 जिनॉन स्ट्रेंजर गैस कहते हैं। रेडॉन को छोड़कर अन्य सभी अक्रिय गैस वायुमंडल में पाई जाती हैं। रेडॉन गैसीय तत्व में सबसे भारी हैं।


 आर्गन का उपयोग मुख्यतः उच्चतापिय धातुकार्मिक प्रक्रियाओं, धातुओं अथवा मिश्र धातुओं की आर्क वेल्डिंग में निष्क्रिय वातावरण उत्पन्न करने तथा बिजली के बल्ब भरने में किया जाता है।


हीलियम गैस अज्वलनशिल तथा हल्की गैस है। इसका उपयोग गुब्बारों को भरने में, मौसम संबंधी अध्ययनों आदि में किया जाता है। 

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